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Difference Between Mind & Brain In Hindi

Difference Between Mind & Brain 
मन और दिमाग के बीच में क्या अंतर है ?

     दोस्तों जब इंसान असफल हो जाता है, तो वह कई बहाने  बनाता है, कि मुझे यह नहीं मिला, इसलिए मैं असफल हो गया, मुझे किसी ने साथ नहीं दिया, इसलिए मैं असफल हो गया।   बहुत सारे बहाने बनाने लगता है।  मैं आप सब को, उस इंसान की स्टोरी बताने जा रहा हूं, जिसने बहाने छोड़कर, कड़ी मेहनत और प्रबल इच्छाशक्ति के सहारे अपने जीवन में चमत्कार किया। उसके मजबूत मनोबल से हमें प्रेरणा मिलती है। 
       वह इंसान  खेल  मैं एक शूटर था। जो उस देश का सबसे अच्छा शूटर था। सारे देश को उम्मीद थी, कि आने वाले ओलंपिक में वह इंसान ही गोल्ड मेडल जीतेगा। लेकिन उसके साथ एक बहुत बड़ा अकस्मात हुआ. उसके हाथ में बम फट गया, जिससे उसका हाथ बहुत बुरी तरह जख्मी हुआ। और उसका हाथ बेकार हो गया और डॉक्टरों ने उसको शूटिंग करने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने कहा अब वह कभी शूटिंग नहीं कर पाएगा। 
उसको अपने आप पर पूरा विश्वास था। उसके मन में ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने की तीव्र इच्छा थी। उसका इरादा पक्का था उसने अपने मन को बहुत मजबूत बनाया था। उसने कभी हार नहीं मानी। केवल 1 महीने के बाद ही,उसने शूटिंग अपने दूसरे हाथ से चालू कर दी। उसने अपने दूसरे हाथ से शूटिंग की प्रैक्टिस चालू कर दी। 
  वह दुनिया का बेस्ट, सबसे अच्छा शूटर बनना चाहता था उसने अपने दूसरे हाथ से प्रैक्टिस शुरू कर दी।कुछ महीनों बाद उसके  देश में शूटिंग कंपटीशन हुआ। वहां वह शूटिंग में भाग लेने के लिए गया, वहां देश के सारे शूटर आए हुए थे , तब बाकी शूटर उसे  देख कर सोचने लगे कि उसके साथ इतना बड़ा हादसा हुआ फिर भी वह हमारी हिम्मत बढ़ाने आया है। लेकिन बाद में पता चला कि वह तो कंपटीशन में भाग लेने के लिए आया है।  और वह भी अपने लेफ्ट हैंड से और वह कंपटीशन उस आदमी ने जीत लिया। 
         उसने 2 सालों में अपने लेफ्ट हैंड को ओलंपिक में भाग लेने लायक बना लिया। लेकिन 1940 में होने वाले ओलंपिक गेम दूसरे विश्व युद्ध के कारण रद्द कर दिए गए। और वह आदमी बहुत निराश हुआ। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी, और 1944 के ओलंपिक के लिए तैयारी चालू कर दी। 
         और 1944 का ओलंपिक भी कैंसिल हो गया और फिर से उसने तैयारी चालू कर दी। और  1948 में अपने देश को गोल्ड मेडल दिलवाया। पर वह फिर भी नहीं रुका और 1952 मैं भी ओलंपिक में भाग लिया और फिर से उसने अपने देश को गोल्ड मेडल दिलवाया। इसी के साथ वह लगातार दो बार गोल्ड मेडल जीतने वाला एथलीट बन गया। 
        दोस्तों उसका नाम है karoly takacs  देश hungary  अगर आप कुछ करने की ठान ले तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको हरा नहीं सकती। 
      दोस्तों karoly takacs  ने मुसीबत तो और कठिनाइयों से कभी हार नहीं मानी। उसने बार-बार अपने अवचेतन मन को संदेशा भेजा कि मुझे गोल्ड मेडल जीतना है। हमेशा वो  अपने लक्ष्य के बारे में सोचता रहता और उसका अवचेतन मन उसी दिशा में कार्य करने लगा। और उसका राइट हैंड खराब हो जाने के बावजूद भी उसने लगातार दो बार गोल्ड मेडल जीता। 
       दोस्तों अगर हमें भी अपने जीवन में सफल होना है, खुश रहना है, अपनी लाइफ को बदलनी है तो हमें अपने मन(Mind) और दिमाग (Brain)के बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए। 
      
           दोस्तों मन ( Mind ) का उपयोग करने से पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि मन (Mind) और दिमाग (Brain) के बीच में अंतर क्या है। 
 ⇨ आप सोचते होंगे कि मन (Mind)और दिमाग (Brain) एक हैं। लेकिन ऐसा नहीं है यह दोनों हमारे शरीर के अलग-अलग अंग है और दोनों हमारे शरीर में ही मौजूद है। 
 ⇨ दिमाग यानी हमारे शरीर का वह हिस्सा है जिसे हम देख सकते हैं, जबकि मन को हम देख नहीं सकते। 
 दिमाग को हम छू  सकते हैं, लेकिन मन को हम छू नहीं सकते,लेकिन मन को हम महसूस कर सकते हैं। 
 ⇨ मन का संबंध आत्मा से हैं, और दिमाग हमारे शरीर का भौतिक अंग है। 
 ⇨ मन में विचार, इच्छाएं ,अनुभव और भावनाएं होती है,  जबकि दिमाग में कोशिकाएं और न्यूरॉन्स होते हैं जिससे हमारा पूरा शरीर चलता है। 
⇨ दिमाग मर सकता मन कभी मरता नहीं। 
⇨ हम  कंप्यूटर की भाषा में अगर बात करें, तो दिमाग एक हार्डवेर है, जबकि मन एक सॉफ्टवेयर है   दिमाग एक कंप्यूटर की तरह  है ,और मन उस में डाला गया प्रोग्राम है। 
⇨ दिमाग का एक कद  होता है लेकिन मन का कोई कद नहीं होता।  दिमाग में खराबी आती है उसे दवाई और ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है।  जबकि मन में खराबी आती है तो उसे पॉजिटिव विचारों ,भावनाओं, और प्रार्थना से ठीक किया जा सकता है। 
 ⇨ दिमाग का जन्म होता है, लेकिन मन का जन्म नहीं होता वह तो  ब्रह्मांड में पहले से ही मौजूद  है। 
 ⇨ ओशो के अनुसार आत्मा अर्थात चेतना यानी मन का जन्म नहीं होता और नहीं चेतना की कभी मृत्यु होती है वह तो अनंत शक्ति है। 
 ⇨ हमारा दिमाग हमारे माता-पिता के कोषों से मिलकर बनता है  लेकिन हमारा मन हमारे पुराने जन्मों के अनुभव और मान्यताओं से बनता है। 
⇨ मन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दिमाग का उपयोग करता है। 

 ➤ मन और दिमाग के अंतर को हम एक उदाहरण  के द्वारा समझते हैं। 
           एक मां के दो बेटे होते हैं या दो बेटियां होती है, दोनों के डीएनए  समान होते हैं,  लेकिन दोनों के    स्वभाव अलग-अलग होते हैं,  दोनों की पसंद अलग होती है,  दोनों के कपड़ों की पसंद अलग होती है, दोनों के रंगों की पसंद भी अलग होती है ,किसी को हरा रंग तो किसी को पीला रंग पसंद होता है। ऐसा क्यों ? जबकि दोनों की मां एक ही है। दोनों एक ही घर में बड़े हुए दोनों का पालन पोषण एक ही माता करती है।  तो इतना फर्क क्यों ?
      दोनों में से एक डॉक्टर बनता है, और दूसरा संगीतकार बनता है। जबकि दोनों के डीएनए समान है ऐसा क्यों, क्योंकि दोनों के अनुभव और मान्यताएं अलग अलग है, दिमाग रूपी हार्डवेयर दोनों के समान है लेकिन मन रूपी सॉफ्टवेयर दोनों के अलग  है। 

डॉक्टर जोसेफ मर्फी के रिसर्च के अनुसार
         मनोवैज्ञानिक डॉक्टर जोसेफ मर्फी के रिसर्च के अनुसार हम अपने अर्धजाग्रत मन को जो भी विचार बार-बार देते हैं, वह विचार हमारे अर्धजाग्रत  मन में चला जाता है, और हमारा अर्धजाग्रत मन उसे स्वीकार कर लेता है ,और जो विचार हमारा अर्धजाग्रत मन स्वीकार कर लेता है उसे हकीकत में बदल देता है। 
        हमारे  अर्धजाग्रत मन को हम जो भी विचार देते हैं,  उससे हमारा दिमाग   उसी तरह काम करने लगता है   हमारा अर्धजाग्रत मन जो भी मान लेता है जिस बात को स्वीकार करता है हमारा दिमाग उसी प्रकार के हार्मोन पैदा करता है, और हम जो भी इच्छाएं हमारे अर्धजाग्रत मन को देते हैं वह पूरी करता है। डॉक्टर मर्फी के अनुसार हम जो अभी हैं, हमारे पास अभी जो कुछ भी है, वह हमारे विचारों का परिणाम है, हमारी सफलता और असफलता में हमारे विचारों का ही योगदान है। 
        हमारा अर्धजाग्रत  मन हमारे वर्तमान जीवन को अपनी मान्यताओं और  अनुभव खुश खुशहाल तो करता ही है, लेकिन हमारी आत्मा जब  दूसरे शरीर  में  जाती है तब हमारा अवचेतन मन उसी के साथ वह शरीर में जाता है। यानी वर्तमान जीवन के अनुभव और मान्यताओं की असर हमारे दूसरे जन्म में भी रहती है। 
इसलिए यदि हमें वर्तमान जीवन और अगले जन्म में भी खुशी, आनंद ,प्रे,म समृद्धि चाहते हैं, तो हमें अपने जाग्रत  और अर्धजाग्रत  मन को सकारात्मक विचारों और मान्यताओं से भरना होगा। हमें सकारात्मक विचारों से हमारे अर्धजाग्रत  मन का प्रोग्रामिंग करना होगा
        तो  दोस्तों आप सकारात्मक विचारों से अपने अवचेतन मन को भरते रहिए, इससे आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा,  और आप जो भी पाना चाहते हैं जिस क्षेत्र में आप सफलता पाना चाहते हैं पा सकते हैं। 


Thank You                                Best Of Luck.




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