मन क्या है ?
⇨ दोस्तों आपने जरूर सोचा होगा की मन क्या है ?
⇨आपने सुना होगा कि, मन की शक्ति ,मन तो चंचल है, मन जो ठान लेता है वह करता है। तो यह मन है क्या ?
तो आइए मन के बारे में जानते हैं. दोस्तों मन हमारे शरीर में ही है, लेकिन वह हमें दिखता नहीं ,लेकिन उसका एहसास हम कर सकते हैं।
⇨मनोविज्ञान के मुताबिक मन यानी हमारे शरीर का वह भाग है जो सोचने, समझने का ,और ग्रहण करने का कार्य करता है।
⇨ मन और मस्तिष्क दोनों में फर्क है, दोनों अलग- अलग है। इसके बारे में मैं आपको इसके बाद के आर्टिकल में बताऊंगा।
⇨मस्तिष्क हमारी खोपड़ी में फिट एक भौतिक भाग है, जिसको हम देख सकते हैं, छू सकते हैं जबकि हम मन को देख नहीं सकते, छू नहीं सकते लेकिन उसका एहसास हम कर सकते हैं।
⇨मन सोचने का काम करता है। कल्पना करने का काम करता है। जब हम दुखी हो जाते हैं, तब हमारी आंखों से आंसू निकल आते हैं, व हमारे मन के कारण होता है। हमारा मन हमें दुखी होने का एहसास दिलाता है, हमारी इच्छा अनुसार जब कोई कार्य नहीं होता, तो हमें गुस्सा आता है, हम जो सोचते हैं वह काम नहीं होता, तो हमें गुस्सा आता है यह हमारे मन के कारण होता है।
⇨ हमें कभी-कभी डर भी लगता है, जब हमें कोई बड़ा काम करना होता है। जब हम रात को सुमसान रास्ते से जाते हैं तो हमें डर लगता ह। यह घर हमारे मन से ही आता है। हम कई बार खुश हो जाते हैं, जब हमारी कोई इच्छा पूरी हो जाती है, तो हम बहुत खुश होते हैं। यह हमारे मन के कारण होता है। जब कोई त्यौहार आता है तो हम बहुत आनंदित होते हैं। जब हम परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाते हैं, तो हम बहुत खुश होते हैं यह हमारे मन के कारण होता है।
⇨दोस्तों मन नामक कार के आप ड्राइवर हो। आपको अगर मन नामक कार अच्छी तरह चलानी आ जाए तो आपकी जहां इच्छा हो, वहां जा सकते हो। हम जो इच्छा है करते हैं वह हमारा मन करता है। जैसे मुझे अच्छा घर बनाना है, अच्छी जॉब करनी है, हमेशा तंदुरुस्त रहना है, परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाना है। आप जो भी पसंद करते हो, ना पसंद करते हो ,आपके मन से करते हो। आप अभी जहां पर भी हो, जहां भी रहते हो, जो भी जॉब करते हो, जो भी खाना खाते हो, जो भी कपड़े पहनते हो, जो भी आपके दोस्त हैं, यह सब आपके मन की चॉइस है। इसलिए दोस्तों अगर आप अपनी मन नामक कार, अच्छी तरह चलाना सीख जाओ तो आपके जीवन में बहार आ जाएगी। आप हमेशा सफलता पाओगे और खुश रहोगे।
➤➤ मन और उसके कार्यों की विभिन्न पद्धतियों का अभ्यास, मनोविज्ञान नाम की संस्था के द्वारा किया जाता है। मनोविज्ञान के अनुसार, मन के कार्य करने की पद्धति के अनुसार, मन को दो भागों में बांटा गया है।
➤ 1. जागृत मन ( Conscious Mind )
➤ 2. अर्ध जागृत मन ( Sub-Conscious Mind )
⇨ जागृत मन यह हमारे मन की जागृत अवस्था है। जब हम जाते हैं तभी जागृत मन कार्य करता है। जबकि अर्ध जागृत मन हर पल कार्य करता ही रहता है। रात दिन वह काम करता ही रहता है। जब हम रात को सो जाते हैं तब भी कार्यकर्ता ही रहता है।
जागृत मन के पास 10% शक्ति है जबकि अर्ध जागृत मन के पास 90% शक्ति है।
⇨आप इस आर्टिकल को पढ़ रहे हो, देख रहे हो ,यह कार्य आप अपने जागृत मन से कर रहे हो। जो भी कार्य हम जागृत अवस्था में करते हैं वह हमारा जागृत मन है।
⇨अर्ध जागृत मन यह मन का ऐसा भाग है, जिसके अंदर पुरानी यादें, घटनाएं, अनुभव पड़े हैं जिसको हम याद करके जागृत मन में ला सकते हैं। आपको कहा जाए कि, अपने बचपन की घटनाएं याद करो, तो आपको अपने बचपन की घटनाएं याद आने लगेगी। आप जहां पढ़े थे, वह स्कूल आपको अपनी आंखों में दिखने लगेगी। आप जहां खेलते थे, वह ग्राउंड आपको दिखने लगेगा। जहां से हम अपने बचपन की घटनाओं को याद करते हैं वह हमारा अर्ध जागृत मन है।
⇨आपके पसंद की कोई फिल्म आप देखते हो, बाद में थोड़े दिनों के बाद, उस फिल्म को याद करते हो तो, वह फिल्म आपको अपने मन में दिखने लगेगी। यह फिल्म हमें हमारा अर्ध जागृत मन दिखाता है। ऐसा इसलिए होता है कि जब हम कोई फिल्म देखते हैं , तो वह फिल्म हम अपने जागृत मन के द्वारा देखते हैं, बाद में वह फिल्म हमारे अर्ध जागृत मन में हमेशा के लिए स्टोर हो जाती है , संग्रह होजाती है।
⇨ अर्ध जागृत मन, एक हार्ड डिस्क जैसा है, जो हमारे विचारों, अनुभवो , घटनाओ , मान्यताओं को संग्रह करके रखता है। इसलिए हमारा अर्ध जागृत मन सोच विचार के कार्य नहीं करता ,जबकि हमारे पुराने अनुभवों और विचारों के आधार पर काम करता है।
⏩ जागृत मन और अर्ध जागृत मन को हम एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं
⇨ जब कोई व्यक्ति पहली बार, बाइक चलाना सीखता है, तब वह पहले बाइक को ध्यान से देखता है, बाद में वह एक्सीलरेटर कैसे चलाना, वह सीखता है,, बाद में वह ब्रेक कैसे लगाना कलज कैसे छोड़ना वह सीखता है। बाद में वह बाइक को संतुलन करना सीखता है। शुरुआत में वह बाइक को, एकदम ध्यान से चलाता है। जब वह बाइक चलाना सीख जाता है, तब वह अपने दोस्तों के साथ बात करते करते भी बाइक चला सकता है। और दूसरा कोई काम करते-करते भी बाइक चला सकता है।
⇨ ऐसा क्यों होता है वह हम समझते हैं , शुरुआत में जब व्यक्ति पहली बार, बाइक चलाना सीखना है, तो वह अपने जागृत मन से सीखता है। बाद में जब वह बाइक चलाना सीख जाता है, वह बार-बार बाइक चलाता है, उसे प्रैक्टिस हो जाती है ,तब वह एक्सपीरियंस, उसके अर्ध जागृत मन में संग्रह हो जाता है। उसका प्रोग्रामिंग हो जाता है। तब जागृत मन अर्ध जागृतमन की जगह ले लेता है।
⇨हमारा अर्ध जागृत मन ,ऑटोमेटिक सिस्टम जैसा है। वह स्वयं संचालित तरीके से कार्य करता है। इसीलिए हमारी आदतों और मान्यताओं का निर्माण इसी तरह होता है। इसलिए हम जो भी कार्य बार-बार करते हैं, वह हमारी आदत बन जाती है। चाहे वह अच्छी आदतें हो या खराब आदतें। जब हम जान गए हैं कि मन क्या है , जागृत मन और अर्ध जागृत मन क्या है वह कैसे काम करता है।
➤ तो दोस्तों, आप अपने जीवन में अच्छी आदतों का निर्माण करके , अपना जीवन हमेशा के लिए बदल सकते हो। दोस्तों जब आप अच्छी आदतों का निर्माण करोगे, तो बुरी आदतें अपने आप चली जाएगी। आप अपने मन की कार चलाना सीख जाओ, और अपने जीवन को सुख और आनंद से भर दो। ऐसी शुभेच्छा।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए शुक्रिया।
Thank You. best Of Luck.
Nice
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